Thursday, October 24, 2013

New directions by Supreme court to curb Misuse of IPC 498a dowry law सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों ने दहेज प्रताडि़त मामलों को दी नई दिशा






सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों ने दहेज प्रताडि़त मामलों को दी नई दिशा

 
कपूरथला (भूषण): माननीय सुप्रीम कोर्ट के नए निर्देशों ने दहेज प्रताडि़त मामलों को नई दिशा दे दी है। इन निर्देशों के तहत अब धारा 498-ए और 406 में नजदीकी रिश्तेदारों को पुलिस नामजद नहीं करेगी। नए जारी किए गए निर्देशों के बाद जहां ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा अब संबंधित परिवारों के साथ-साथ उनके नजदीकी रिश्तेदारों को भी धारा 498-ए और 406 में नामजद करने से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर अमल करना पड़ेगा, वहीं इस कानून का अवैध लाभ उठाने वाले लोगों की गतिविधियों पर काफी हद तक रोक लगने की संभावना बन गई है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय संविधान मुताबिक किसी भी विवाहिता को उसके विवाह से 7 वर्ष तक अपने पति सहित पति के नजदीकी रिश्तेदारों के ऊपर दहेज प्रताडि़त के लिए मुकद्दमा दर्ज करवाने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन इस अधिकार के साथ जहां भारी संख्या में दहेज के लोभियों को सजा मिली है, वहीं इस कानून का लाभ उठाते हुए कई विवाहिताओं ने अपने ससुर परिवार सहित सुसराल पक्ष के साथ नजदीकी रिश्तेदारों को भी धारा 498-ए और 406 के जाल में फंसाने में कामयाबी हासिल की है, जिसके परिणाम स्वरूप बिना कसूर कई परिवार तबाही के किनारे आ पहुंचे हैं।

वहीं कुछ संदिग्ध किस्म के पुलिस अधिकारियों द्वारा फंसाए गए रिश्तेदारों को मामले में से निकालने के लिए डील करने की शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं। अब उत्तराखंड के साथ संबंधित एक पीड़ित व्यक्ति की पटीशन पर सुनवाई करते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिल आर. दवे और जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने अहम फैसला सुनाते दहेज प्रताडि़त की शिकायतों में नजदीकी रिश्तेदारों को नामजद करने में पूरी बारीकी के साथ जांच करने के साथ उनको मामले में शामिल करने में गुरेज करने के आदेश जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के साथ उन लोगों को भारी राहत मिलने की संभावना बन गई है, जो पुलिस द्वारा धारा 498-ए और 406 में नामजद किए मुख्य आरोपियों के साथ सिर्फ इस कारण ही जोड़ दिए गए, क्योंकि वे उनके रिश्तेदार हैं। ऐसे मामलों में गत वर्षों दौरान शामिल रहे कई व्यक्तियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनको राजनीतिक दबाव या शिकायतकर्त्ता पक्ष की ऊंची पहुंच के कारण ही बिना मतलब रिश्तेदार होने के परिणाम स्वरूप इस गैर-जमानती मामले में शामिल कर लिया गया है, जिसके परिणाम स्वरूप ही उनको जमानत करवाने के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ी।

वहीं उनको बदनामी भी झेलनी पड़ी, लेकिन अब माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों ने बेकसूर लोगों को नई दिशा दी है। इस संबंधी एस.एस.पी. इंद्रबीर सिंह ने बताया कि जिला पुलिस को पहले ही दहेज प्रताडऩा के मामलों में निर्दोष व्यक्तियों पर मामला न दर्ज करने के आदेश जारी किए हुए हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की पूरी तरह पालना की जाएगी।


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