Sunday, September 12, 2010

पत्नी को पाने के लिए पति की ससुराल वालों से जंग

पत्नी को पाने के लिए पति की ससुराल वालों से जंग

 

गाजियाबाद। एक शख्स ने आज अपनी पत्नी को पाने की आस नहीं छोड़ी है। उसे लगता है कि उसकी पत्नी जिंदा है और वो एक दिन जरूर वापस आएगी। इसी आस में वो इंसाफ की लड़ाई लड रहा है। ये दर्दभरी कहानी सिटीजन जर्नलिस्ट गौरव सैनी की है।

दरअसल गौरव की पत्नी मोनिका डागर अब इस दुनिया में नहीं है। लेकिन गौरव उसे भूल नहीं पाया है। गौरव की मानें तो मोनिका के परिवार वाले एक साल पहले मोनिका को गौरव के पास से लेकर चले गए और फिर बाद में बताया कि उसकी मौत हो गई। गौरव का कहना है कि मोनिका को उसके परिजनों ने कहीं छुपा कर रखा है।

गौरव ने बताया कि मोनिका बेहद होशियार लड़की थी, वो आईएएस आफिसर बनना चाहती थी। शादी के बाद वो एक बेटी को जन्म देना चाहती थी ताकि अपने परिवार को दिखा सके कि लड़कियां बेकार नहीं होती। गौरव की मानें तो दोनों ने मिलकर कई सपने देखे थे जो पूरे नहीं हो सके।

गौरव और मोनिका दोनों अलग जाति के होने के वाबजूद शादी कर ली। मोनिका के परिवार वाले दूसरी जाति के लड़के से शादी करने के लिए राजी नहीं थे। गौरव की मानें तो उसे धमकियां भी मिली थी। जवाब में गौरव ने मोनिका के परिवार वालों से कहा कि कानून उसके साथ है।

फिर दोनों ने 6 जुलाई 2009 को को आर्य समाज मन्दिर में शादी कर ली। कुछ दिन बाद मोनिका के घरवाले पुलिस लेकर गौरव के घर पहुंचे और गौरव के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज करवा दिया।

शादी का प्रमाण पत्र दिखाने के बाद भी वो जबर्दस्ती मोनिका को साथ ले गए और पुलिस ने गौरव को हिरासत में ले लिया। एक महीना डासना जेल में रहने के बाद गौरव रिहा हुआ। फिर उसने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर की। जिस पर कोर्ट ने मोनिका को 7 अक्टूबर 2009 को कोर्ट के सामने पेश करने के लिए कहा। जिसके बाद दिल्ली पुलिस मोनिका को लाने के गई तो उस गांव के सरपंच ने पुलिस से कहा कि मोनिका मर चुकी है। लेकिन गौरव नहीं मानता की मोनिका मर चुकी है।

सबूत के तौर पर मोनिका के परिवार वालों ने पेपर पेश किए की उसे एक अस्पताल मे भर्ती किया गया था। लेकिन अस्पताल के रिकार्ड में लिखा है कि मोनिका को कुछ दिन बाद स्वस्थ हालत में डिस्चॉर्ज किया गया। गौरव का कहना है कि अगर मोनिका मर चुकी है तो उसके परिवार वालों के पास सबूत के तौर पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट या किसी डॉक्टर का डेथ सर्टीफिकेट पर साइन क्यों नहीं है।

पुलिस ने जब केस रिव्यू किया तो मोनिका के परिवार वालों पर क्रिमिनल कॉनपिरेसी और मर्डर का चार्ज लगाया। लेकिन वो बेल पर छूट गए हैं। जिस जांच अधिकारी ने मेरे ऊपर अपहरण का केस लगाया था उसे सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन गौरव आज भी मोनिका की आस में इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा है।

http://khabar.ibnlive.in.com/news/37741/3

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